विद्द्ंयगिरि की पर्वतमालाये गिरि विशेषण से सम्मानित करती है| जिनालय का चरण स्पर्श कर प्रवाहित हुई दसार्ण (धसान) नदी अपने जल को पवित्र कर जन- जन तक पवन वीतरागी सन्देश प्रसारित कर रही है|
" मंदिर का यथार्थ अर्थ संस्कृत के अनुसार शरण होता है | संसार के दुःखो से भयभीत प्राणियों के सहारे को 'शरण' कहते हैं |
अतः प्रतिदिन मंदिर जी आने का मतलब हैं - अपने आपको दुःखो से छुटकारा दिलाने का उपक्रम करना |"
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